UP Board Solutions for Class-7 Science Chapter-13 भोजन स्वास्थ्य व रोग

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नमस्कार दोस्तों कैसे हैं आप लोग उम्मीद करता हूं कि आप बिल्कुल ठीक होंगे। आपका इस लेख UP Board Solutions में हार्दिक स्वागत है, आज के इस लेख के माध्यम से हम लोग UP Board के विज्ञान (Science) के Class-7 के Chapter-13 भोजन स्वास्थ्य व रोग के अभ्यास प्रश्न को हल करेंगे, आशा करते हैं कि आपको यह पसन्द आयेगा —

Table of Contents


(ब) जीवाणु

(स) विषाणु

(द) उपरोक्त सभी

उत्तर 1(क)– विकल्प (अ) कवक (✓)

(ब) कैंसर

(स) जोड़ों में दर्द

(द) डायबिटीज

उत्तर 1(ख)– विकल्प (अ) हैजा

(ब) पेचिस

(स) प्लेग

(द) डिफ्थीरिया

उत्तर 1(ग)– विकल्प (अ) चेचक (✓)

(अ) वेरियोला वायरस से

(ब) विब्रियो कॉलेरी जीवाणु से

(स) बैसिली जीवाणु से

उत्तर 1(घ)– विकल्प (द) इनमें से कोई नहीं

उत्तर 2-

(क) डिब्बा बंद भोज्य पदार्थों का अत्यधिक सेवन नहीं करना चाहिए।  (✓)

(ख) प्लेग संक्रामक रोग नहीं है। (×)

(ग) पाश्चुरीकरण एक परिरक्षण विधि है। (✓)

(घ) असंचारी रोग वायु द्वारा फैलते हैं। (×)

(ङ) दाद कवक के कारण होता है।  (✓)

उत्तर 3-

(क) डायरिया को अतिसार भी कहते हैं।

(ख) म्यूकर एक कवक है।

(ग) फिनाइल, डी.डी.टी, क्लोरीन नि:संक्रमण पदार्थ हैं।

(घ) विब्रियो कॉलेरी एक जीवाणु है।

(ङ) कैंसर असंचारी रोग है।

उत्तर 4-

स्तम्भ (क)स्तम्भ (ख)
क. प्लेगपाश्चयूरेला पेस्टिस
ख. हैजाविब्रियो कॉलेरी
ग. पोलियोपोलियो वायरस
घ. पेचिसएण्टअमीबा
ङ. चेचकवेरियोला वायरस

उत्तर 5(क)–

परिरक्षण- भोज्य पदार्थों को लम्बे समय तक ताजा और सुरक्षित रखने की विधियों को परिरक्षण कहते हैं।

उत्तर 5(ख)– भोज्य पदार्थों को सड़ाने एवं खराब करने वाले कारक निम्न हैं-

1. कवक- कवक नम स्थान पर रखी रोटी, डबलरोटी, अचार, फल, सब्जी, चमड़ा आदि पर सफेद जालों जैसी रचना बना लेते हैं और खाद्य पदार्थों को नष्ट कर देते हैं।

2. जीवाणु– जीवाणु भोज्य पदार्थों को दूषित कर देते हैं, जिसे ग्रहण करने से हैजा, पेचिस, पेट दर्द, उल्टी आदि बीमारियाँ हो जाती हैं।

3. यीस्ट (खमीर)– यीस्ट की क्रिया कार्बोहाइड्रेटस युक्त पदार्थों पर होती है, जिसे वह एल्कोहल में बदल देते हैं, और पदार्थ में खट्टापन आ जाता है।

4. रोडन्ट, कीट-पतंगें- अनाजों को खुला छोड़ देने पर चूहे (रोडन्ट) खा जाते हैं। इसी प्रकार विभिन्न प्रकार की सब्जियाँ भी कीटों जैसे गोभी कीट, बैंगन छेदक कीट आदि द्वारा खाकर नष्ट कर दी जाती हैं।

उत्तर 5(ग)–

हैजा (Cholera)

लक्षण

  1. सफेद व पतले दस्त आना और उल्टी होना।
  2. रोगी को बार-बार प्यास लगना।
  3. मांसपेशियों में ऐंठन आदि।

कारण– दूषित जल और भोजन का सेवन, अस्वच्छ वातावरण आदि।

उपचार एवं बचाव के तरीके-

  1. जीवन रक्षक घोल पिलाना चाहिए।
  2. रोगी को तुरंत अस्पताल ले जाकर इलाज कराना चाहिए।
  3. हैजे का टीका लगवाना चाहिए।
  4. पानी को उबालकर प्रयोग करना चाहिए।
  5. खुले में मल त्याग नहीं करना चाहिए तथा कूड़ा-कचरा भी नहीं फेंकना चाहिए।

टायफाइड (Typhoid)

कारण– यह साल्मोनेला टायफी नामक बैक्टीरिया से होता है। यह दूषित जल, भोजन तथा दूध से फैलता है।

लक्षण-

  1. रोगी को तेज बुखार आता है परन्तु तापमान घटता बढ़ता रहता है।
  2. शरीर कमजोर हो जाता है।

उपचार एवं बचाव के तरीके-

  1. इस बीमारी में सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
  2. रोगी को पूरा आराम देना चाहिए।
  3. पानी को उबालकर प्रयोग करना चाहिए।
  4. रोगी को तला-भुना खाद्य पदार्थ न देकर उबला दूध, साबूदाना, दलिया, मूंग की खिचड़ी देना चाहिए।
  5. डॉक्टर से तुरंत परामर्श लेंना चाहिए।

प्रश्न 5(घ) संचारी तथा असंचारी रोग से आप क्या समझते हैं?

उत्तर 5(घ)–

संचारी रोग- वह सभी रोग जो सूक्ष्म जीवों द्वारा होते हैं और एक से दूसरे मनुष्य तक छुआ छूत के कारण फैलते हैं, उन्हें संचारी रोग कहते हैं। जैसे- कोरोना, चेचक, हैजा, टी.बी. आदि।

असंचारी रोग- ऐसे रोग जो छुआ छूत से या किसी भी माध्यम (वायु, जल) से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक नहीं फैलते है, उन्हें असंचारी रोग कहते हैं। जैसे- उच्च रक्त चाप, कैंसर, डायबिटीज आदि।

प्रश्न 5(ङ) नि:संक्रमण क्या है?

उत्तर 5(ङ)–

नि:संक्रमण– संक्रामक रोगों के रोगाणुओं को नष्ट करने की प्रक्रिया को नि:संक्रमण कहते हैं।

प्रश्न 5(च) परिरक्षण विधियों के बारे में लिखिए।

उत्तर 5(च)–

भोजन के परिरक्षण की विधियाँ

परिरक्षण की कई विधियाँ हैं।

1. सुखाना (निर्जलीकरण)– इस विधि में सूर्य किरणों से प्राप्त ऊष्मा द्वारा भोज्य पदार्थों को सुखाया जाता है। धूप में अनाज, पापड़, बड़ी, आलू चिप्स, गोभी, मेथी, चना, आम आदि सुखाना।

2. उबालना- उबालने की प्रक्रिया में अधिक तापमान के कारण कुछ हानिकारक जीवाणु निष्क्रिय हो जाते हैं। उदाहरण- दूध और पीने के पानी को उबालना।

3. ठण्डा करना- इसके विभिन्न तरीके हैं जिनके द्वारा भोजन का परिरक्षण आधुनिक विकसित उपकरणों द्वारा किया जाता है।

4. रासायनिक एवं अन्य पदार्थों का उपयोग कुछ रासायनिक पदार्थ भी सूक्ष्मजीवों को उत्पन्न होने से रोकते हैं, जैसे- सोडियम मेटाबाईसल्फाइट, सोडियम बैंजोएट, सिरका आदि। इसके अतिरिक्त, शक्कर, नमक, खाद्य तेल आदि का उपयोग भी भोज्य पदार्थों के संरक्षण में किया जाता है।

5. डिब्बा बंदी (कैनिंग)– अनेक भोज्य पदार्थ जैसे मटर, अनन्नास आदि इस विधि से संरक्षित किये जाते हैं।

6. पाश्चुरीकरण- दूध आदि को इस विधि द्वारा संरक्षित किया जाता है।

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सर्दी-जुकाम ठीक करने की घरेलू नुकसा और आयुर्वेदिक दवा



पाठ-1 मानव विज्ञान और प्रौद्योगिकी
पाठ- 2 रेशों से वस्त्र तक
पाठ- 3 पदार्थ की संरचना एवं प्रकृति
पाठ-4 भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तन
पाठ- 5 ऊष्मा एवं ताप
पाठ- 6 पौधों में पोषण
पाठ- 7 जन्तुओ में पोषण
पाठ- 8 जीवों में श्वसन
पाठ- 9 जन्तुओं एवं पौधों में परिवहन
पाठ- 10 जीवों में उत्सर्जन
पाठ- 11 पौधों में जनन
पाठ-12 लाभदायक एवं हानिकारक पौधे तथा जन्तु
पाठ-13 भोजन स्वास्थ्य व रोग
पाठ-14 ध्वनि
पाठ-15 ऊर्जा
पाठ-16 प्रकाश
पाठ-17 बल एवं यन्त्र
पाठ- 18 स्थिर विद्युत
पाठ- 19 जल
पाठ- 20 वायु
पाठ- 21 कम्प्यूटर

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